The Definitive Guide to lyrics shiv chalisa
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा